Sharad Purnima - शरद पूर्णिमा 9/10/2022 Images - Hp Video Status

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Saturday 8 October 2022

Sharad Purnima - शरद पूर्णिमा 9/10/2022 Images

Sharad Purnima - शरद पूर्णिमा 8/10/2022 Images Free Download 


Sharad Purnima 2022 Date and Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है। कहा जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत वर्षा होती है।


शरद पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग-


इस साल शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग बनने से इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। ध्रुव योग शाम 06 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 31 मिनट से शाम 04 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।


Sharad Purnima 2022 : इस साल शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर दिन रविवार को है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन रात को चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है यही वजह है कि रात को चंद्रमा की रोशनी में पकी हुई खीर रखने की परंपरा है.


इस दिन खीर खाना क्यों होता है शुभ

शरद पूर्णिमा के दिन आपने बहुत से लोगों को छत पर खीर रखते हुए देखा होगा. कहा जाता है इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है. ऐसे में जो भी इस रात चंद्रमा के नीचे रखकर खीर खाता है उसे किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं होती है. कई पौराणिक कथाओं में भी शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने के प्रचलन के बारे में बताया गया है.


शरद पूर्णिमा का महत्व

शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत, जैसे नामों से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए देश के कई हिस्सों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इस तिथि को धन दायक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती है. चंद्रमा इस दिन अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत का बरसात होती है.


प्रबोधिनी एकादशी पर हुआ भगवान विष्णु का तुलसी से विवाह

प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है और तुलसी से विवाह किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि चार महीने की गहरी नींद से जाग जाते हैं. देवोत्थान एकादशी का व्रत भगवान के आनंद में किया जाता है जो नींद से जाग चुके हैं। कहा जाता है कि इसी दिन उनका विवाह तुलसी से हुआ था. बंगाली समाज में इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन लक्ष्मी जी को पांच प्रकार के फल और पांच प्रकार की मिठाई का भोग लगाया जाता है.


इस दिन की जाती है भगवान विष्णु की पूजा

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और सुबह सत्यनारायण भगवान कथा का पाठ किया जाता है. इसके बाद कार्तिक मास की एकादशी जिसे देवथानी एकादशी या देवस्थानी एकादशी कहा जाता है, इस दिन तुलसीविवा किया जाता है. इस दिन श्री हरि की पूजा, भगवान सत्यनारायण की कथा और तुलसी-शालिग्राम का विवाह किया जाता है.


क्यों खास है शरद पूर्णिमा

कहते हैं साल में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण सोलह कलाओं के साथ निकलता है, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव की विशेष उपासना का विधान है. इस दिन महिलाएं उपवास रख अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.


शरद पूर्णिमा के पूजन मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।


ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।


ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।


शरद पूर्णिमा पर उपाय

खीर में मिश्रित दूध, चीनी और चावल के कारक भी चंद्रमा ही हैं अतः इनमें चंद्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है जिसके परिणाम स्वरूप किसी भी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा क्षीण हों, महादशा-अंतर्दशा या प्रत्यंतर्दशा चल रही हो या चंद्रमा छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो चन्द्रमा की पूजा करते हुए स्फटिक माला से 'ॐ सों सोमाय' मंत्र का जाप करें, ऐसा करने से चंद्रजन्य दोष से शान्ति मिलेगी.


क्यों मनाया जाता है शरद पूर्णिमा

इस दिन चंद्रदेव की भी पूजा अर्चना करने का विधान हैं. शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन ही हुआ था. इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी के पूजन का दिन माना जाता है. कुंआरी कन्याएं इस दिन सुबह सूर्य और चन्द्र देव की पूजा अर्चना करें तो उन्हें मनचाहे वर पाने का वरदान मिलता है.


शरद पूर्णिमा के दिन इस विधि देवी लक्ष्मी पूजा

रात्रि में मां लक्ष्मी की षोडशोपचार विधि से पूजा करके 'श्रीसूक्त' का पाठ, 'कनकधारा स्तोत्र', विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अथवा भगवान् कृष्ण का 'मधुराष्टकं' का पाठ ईष्टकार्यों की सिद्धि दिलाता है पूजा में मिष्ठान, मेवे और खीर का भोग लगाएं.


शरद पूर्णिमा पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें.


इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें.


स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद अपने ईष्टदेव की अराधना करें.


पूजा के दौरान भगवान को गंध, अक्षत, तांबूल, दीप, पुष्प, धूप, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें.


रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और आधी रात को भगवान को भोग लगाएं.


रात को खीर से भरा बर्तन चांद की रोशनी में रखकर उसे दूसरे दिन ग्रहण करें.


यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को वितरित करें.




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