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Sunday 16 October 2022

Rama Ekadashi - रमा एकादशी 21/10/2022 Images

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2022 Rama Ekadashi


Parana means breaking the fast. Ekadashi Parana is done after sunrise on next day of Ekadashi fast. It is necessary to do Parana within Dwadashi Tithi unless Dwadashi is over before sunrise. Not doing Parana within Dwadashi is similar to an offence.


Parana should not be done during Hari Vasara. One should wait for Hari Vasara to get over before breaking the fast. Hari Vasara is first one fourth duration of Dwadashi Tithi. The most preferred time to break the fast is Pratahkal. One should avoid breaking the fast during Madhyahna. If due to some reasons one is not able to break the fast during Pratahkal then one should do it after Madhyahna.


At times Ekadashi fasting is suggested on two consecutive days. It is advised that Smartha with family should observe fasting on first day only. The alternate Ekadashi fasting, which is the second one, is suggested for Sanyasis, widows and for those who want Moksha. When alternate Ekadashi fasting is suggested for Smartha it coincides with Vaishnava Ekadashi fasting day.


Ekadashi fasting on both days is suggested for staunch devotees who seek for love and affection of Lord Vishnu.


Rama Ekadashi 2022: 

रमा एकादशी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​​थि को रखा जाता है. जानते हैं कि रमा एकादशी व्रत कब है और पूजा मुहूर्त एवं पारण समय क्या है?


Rama Ekadashi 2022: हिंदू कैलेंडर के आधार पर रमा एकादशी का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी ति​​थि को रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है. रमा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्म हत्या सहित अनेक प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. जो भी व्यक्ति रमा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है, उसके भी पाप मिट जाते हैं. इस व्रत को करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि रमा एकादशी व्रत कब है और पूजा मुहूर्त एवं पारण समय क्या है?


रमा एकादशी 2022 तिथि

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 20 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि अगले दिन 21 अक्टूबर शुक्रवार को शाम 05 बजकर 22 मिट तक मान्य रहेगी. अब उदयातिथि को देखा जाए तो 21 अक्टूबर को प्राप्त हो रही है, इसलिए रमा एकादशी का व्रत 21 अक्टूबर को रखा जाएगा.


रमा एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त

रमा एकादशी के दिन प्रात:काल से ही शुक्ल योग प्रारंभ हो रहा है, जो शाम 05 बजकर 48 मिनट तक है. उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ हो जाएगा. ये दोनों ही योग पूजा पाठ के लिए शुभ हैं. रमा एकादशी व्रत की पूजा करने का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रात: 07 बजकर 50 मिनट से सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक है. यह लाभ उन्नति प्रदान करने वाला मुहूर्त है.


उसके बाद सुबह 09 बजकर 15 मिनट से सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त है. आप इन दोनों ही मुहूर्त में पूजा करते हैं तो आपके लिए लाभकारी है. आपका कल्याण होगा.


रमा एकादशी 2022 पारण समय

जो लोग 21 अक्टूबर को रमा एकादशी व्रत रखेंगे, वे व्रत का पारण अलगे दिन 22 अक्टूबर शनिवार को प्रात: 06 बजकर 26 मिनट से कर सकते हैं. पारण समाप्ति का समय उस दिन 08 बजकर 42 मिनट पर है. आपको इस बीच पारण कर लेना चाहिए. इस दिन द्वादशी तिथि का समापन शाम 06 बजकर 02 मिनट पर है.


रमा एकादशी व्रत का महत्व

जब युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कार्तिक कृष्ण एकादशी व्रत के महात्म को बताने को कहा, तब श्रीकृष्ण ने कहा कि इस व्रत को रमा एकादशी के नाम से जानते हैं. जो भी इस व्रत को करता है, उसके पाप मिट जाते हैं और वह मृत्यु के बाद श्रीहरि के लोक में स्थान पाता है.


हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। रमा एकादशी के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करें। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं।


रमा एकादशी डेट- 21 अक्टूबर, 2022 


मुहूर्त- 


एकादशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2022 को 04:04 पी एम बजे


एकादशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2022 को 05:22 पी एम बजे


व्रत पारणा टाइम- 22 अक्टूबर को 06:17 ए एम से 08:33 ए एम


पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 06:02 पी एम


एकादशी व्रत पूजा- विधि


सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें। 

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। 

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। 

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 


एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट


श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति

पुष्प

नारियल 

सुपारी

फल

लौंग

धूप

दीप

घी 

पंचामृत 

अक्षत

तुलसी दल

चंदन 

मिष्ठान






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