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Thursday 15 September 2022

Vishwakarma Puja Festival 17/09/2022 Images

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Vishwakarma Puja 2022 Date: कब है विश्वकर्मा पूजा? जानें, तारीख, पूजन विधि और महत्व

Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा को ही विश्वकर्मा जयंती और विश्वकर्मा दिवस के नाम से जाना जाता है. हिंदूओं के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन लोग अपने कारखानों और गाड़ियों की पूजा करते हैं. भगवान विश्वकर्मा का जिक्र 12 आदित्यों और ऋग्वेद में होता है. इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. 

Vishwakarma Puja 2022: विश्वकर्मा जयंती साल में दो बार मनाई जाती है. विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर के दिन कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है, लेकिन वहीं राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों में भगवान विश्वकर्मा का जन्म 7 फरवरी को मनाया जाता है. विश्वकर्मा पूजा को ही विश्वकर्मा जयंती और विश्वकर्मा दिवस के नाम से जाना जाता है. हिंदुओं के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन लोग अपने कारखानों और गाड़ियों की पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था. भगवान विश्वकर्मा का जिक्र 12 आदित्यों और ऋग्वेद में होता है. इस बार विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. 

विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Vishwakarma Puja 2022 Significance):

भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें विश्व का पहला इंजीनियर माना गया है. मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं. साथ ही साथ कारोबार में विस्तार होता है. मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उन पर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं. पूजन करने से व्यापार में वृद्धि होती है. भारत के कई हिस्सों में विश्वकर्मा दिवस बेहद धूम धाम से मनाया जाता है.

विश्वकर्मा पूजा विधि

विश्वकर्मा दिवस के दिन जल्दी स्नान करके, पूजा स्थल को साफ करें. फिर गंगा जल छिड़क कर पूजा स्थान को पवित्र करें. एक साफ़ चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक चिह्न बनाएं. भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें. इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें, फिर उस चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र लगाएं .

एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें. फिर भगवान विष्णु और भगवान विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाकर पूजा का शुभारम्भ करें. भगवान विश्वकर्मा  और भगवान विष्णु को प्रणाम करते हुए उनका मन ही मन स्मरण करें. साथ ही यह प्रार्थना करें कि वह आपकी नौकरी-व्यापार में तरक्की के सभी मार्ग आपको दिखाएं. पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप भी करें. फिर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई आदि का भोग लगाएं, इस भोग को सभी लोगों और कर्मचारियों में बांटें.

भगवान विश्वकर्मा की उत्पत्ति

एक कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में सर्वप्रथम 'नारायण' अर्थात साक्षात भगवान विष्णु सागर में शेषशय्या पर प्रकट हुए. उनके नाभि-कमल से चर्तुमुख ब्रह्मा दृष्टिगोचर हो रहे थे. ब्रह्मा के पुत्र 'धर्म' तथा धर्म के पुत्र 'वास्तुदेव' हुए. कहा जाता है कि धर्म की 'वस्तु' नामक स्त्री से उत्पन्न 'वास्तु' सातवें पुत्र थे, जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे. उन्हीं वास्तुदेव की 'अंगिरसी' नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए. पिता की भांति विश्वकर्मा भी वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य बने.

भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप

भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप बताए जाते हैं. दो बाहु वाले, चार बाहु एवं दस बाहु वाले तथा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले. उनके मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ नामक पांच पुत्र हैं. यह भी मान्यता है कि ये पांचों वास्तु शिल्प की अलग-अलग विधाओं में पारंगत थे और उन्होंने कई वस्तुओं का आविष्कार किया. इस प्रसंग में मनु को लोहे से, तो मय को लकड़ी, त्वष्टा को कांसे एवं तांबे, शिल्पी ईंट और दैवज्ञ को सोने-चांदी से जोड़ा जाता है.


Vishwakarma Puja kab hai Shubh Yog And Muhurt: हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसे सजाने-संवारने का काम भगवान विश्वकर्मा ने किया. उन्हें इस सृष्टि का सबसे बड़ा और पहला इंजीनियर माना जाता है. कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है. कन्या संक्रांति से मतलब है कि जिस दिन सूर्य कन्या राशि में गोचर करते हैं. कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है. इस दिन लोग अपने औजारों-मशीनों की पूजा करते हैं. कारखानों में लगी मशीनों और वाहनों की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा की और मशीनों की पूजन करने से वे अच्छे से चलती रहती हैं. मशीनें, वाहन बार-बार खराब नहीं होते हैं. 

विश्वकर्मा पूजा 2022 पर शुभ योग 

इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. पंचांग के मुताबिक विश्वकर्मा पूजा के दिन 17 सितंबर को सुबह से रात तक वृद्धि योग रहेगा. इसके अलावा सुबह से दोपहर तक अमृत सिद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे. फिर द्विपुष्कर योग बनेगा. इन योगों को ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इन योग में पूजा करने से कई गुना ज्यादा फल मिलता है. 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा करने और मशीन-वाहनों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 35 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. वहीं दोपहर में शुभ मुहूर्त 01 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट तक है.  इसके बाद दोपहर 03 बजकर 20 मिनट से शाम 04 बजकर 53 मिनट तक भी पूजा के लिए शुभ समय रहेगा. 

विश्वकर्मा पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनें. फिर अपने कार्यस्थल पर चौकी पर नया पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर मशीनों, औजारों, वाहनों की पूजा करें. इस दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप करें. उन्हें हल्दी, अक्षत, फूल अर्पित करें. धूप-दीप दिखाएं. फल मिठाइयों का भोग लगाएं. आखिर में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. अंत में कर्मचारियों को प्रसाद बांटें. 


Vishwakarma Puja




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