
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे वेबसाइट पे, रामायण के अनुसार वानरों के राजा बालि को वरदान प्राप्त था कि अगर कोई व्यक्ति बालि से युद्ध करता है, तो उसकी आधी शक्ति क्षीण हो जाएगी और वह शक्ति बालि को प्राप्त हो जाएगी | इसी कारण राजा बालि इतना बलशाली हो चुके थे कि उसे युद्ध में पराजित करना किसी के लिए भी संभव न था |
बालि की शत्रुता उसके छोटे भाई सुग्रीव से हो गयी थी | वह अपने भाई का वध करना चाहता था | सुग्रीव ने भगवान राम से सहायता मांगी | जब बालि ने सुगीव से युद्ध करना शुरू किया, तभी श्रीराम ने पेड़ के पीछे से छिपकर बालि पर बाणों से प्रहार कर दिया, जिसके बाद बालि की मृत्यु हो गयी थी |
बालि ने अपनी मृत्यु का प्रतिशोध अगले जन्म में लिया था | महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण की मृत्यु बहेलिये के विषाक्त बाणों के लगने से हुई थी | यदुवंश का नाश हो जाने के पश्चात भगवान कृष्ण वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे, तभी एक बहेलिये ने उनके पैरों को कबूतर समझकर उन पर विषाक्त बाणों से प्रहार कर दिया | बहेलिये ने जब पास जाकर देखा कि उसका बाण सीधे जाकर वासुदेव के चरणों में लगा है, तो वह कृष्ण से क्षमा मांगकर रोने लगा |
भगवान कृष्ण ने बहेलिये को समझाया और कहा कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है बल्कि यह उनके पूर्वजन्म के कर्मों का परिणाम है |श्रीकृष्ण बहेलिये को बताया कि वे पूर्वजन्म में वानरराज बालि थे, जिसे राम के रूप में मैने पेड़ों से छिपकर मारा था |
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