आखिर कैसे भगवान शिव को प्राप्त हुआ त्रिशूल, डमरू, चंद्रमा और सर्प - Hindi Story - Festival Poster | Messages | Shayari

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Wednesday, 11 September 2019

आखिर कैसे भगवान शिव को प्राप्त हुआ त्रिशूल, डमरू, चंद्रमा और सर्प - Hindi Story

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे वेबसाइट पे, भगवान शंकर के चित्रों एवं प्रतिमाओं में उन्हें डमरू, सर्प और त्रिशूल एवं मस्तक पर चंद्रमा धारण किये हुए दर्शाया जाता है | शिव की जटाओं से निरंतर गंगा बहती रहती हैं | आखिर कहाँ से प्राप्त हुईं भगवान शिव को यह सभी चीज़ें, आइये जानते हैं |

1: त्रिशूल:
त्रिशूल को संसार के तीन मूल गुणों का सूचक माना जाता है जिसे सतो, रजो और तमो कहा जाता है | यह सृष्टि त्रिगुणा है | सृष्टि के संचालन में इनके बीच सामंजस्य का होना अति आवश्यक है | भगवान शिव इन सभी के बीच संतुलन बनाए रखते हैं |

2: सर्प:
भोलेनाथ अपने गले में जिस सर्प को धारण करते हैं उनका नाम "वासुकी नाग" है | वासुकी ने भगवान शंकर की कड़ी तपस्या करके उनसे वरदान प्राप्त किया था | ऐसा माना जाता है कई समुद्र मंथन के समय भोलेनाथ ने हलाहल नामक विष को कंठ में धारण कर लिया था | इसी विष के अंश को सर्पों ने सोख लिया और वे भी विषाक्त हो गये थे |

3: चंद्रमा:
प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियाँ थीं, जिनका विवाह चन्द्रमा के साथ हुआ था | लेकिन चंद्रदेव रोह‌िणी से सबसे ज्यादा प्रेम करते थे | जब सभी कन्याओं ने अपनी पिता दक्ष से इस बात की शिकायत की, तो दक्ष ने चंद्रमा को क्षय हो जाने का श्राप दे दिया | श्राप से बचने के लिए चंद्रमा ने भोलेनाथ की कड़ी तपस्या की | भोलेनाथ ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में स्थान दिया ताकि वे श्राप से बचे रहे |

4: डमरू:
सृष्टि की शुरुआत में ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को प्रकट किया | देवी सरस्वती ने अपनी वीणा से ध्वनि उत्पन्न की लेकिन ध्वनि पूर्ण न थी | तब भगवान शंकर ने तांडव करते हुए चौदह बार डमरू को बजाया , जिससे ताल का जन्म हुआ |

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