नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारे वेबसाइट पे, महाभारत में कई ऐसी घटनाओं का उल्लेख है, जिसके बारे में कम लोगों को मालूम है। आज हम आपको ऐसी ही एक घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये शुरू करते हैं।
गुरु द्रोणाचार्य से प्रतिशोध लेने के लिए द्रुपद ने अनुष्ठान आरंभ कराया था। इस अनुष्ठान के फलस्वरूप उन्हें एक ऐसे शक्तिशाली पुत्र की प्राप्ति हुई थी जो द्रोणाचार्य से द्रुपद का प्रतिशोध ले सके। द्रुपद के इस पुत्र का नाम दृश्यद्युम्न था।
इसके पश्चात राजा द्रुपद यज्ञ छोड़कर जाने लगे। ऋषियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया क्योंकि यज्ञ से अभी एक कन्या का भी जन्म होना था लेकिन द्रुपद को जो चाहिए था, वह मिल चुका था। द्रुपद के ऐसे व्यवहार से अग्निदेव कुपित हो उठे और यज्ञ की ज्वाला इतनी बढ़ गयी कि द्रुपद को विवश होकर रुकना पड़ा।
द्रुपद को कन्या की आवश्यकता नहीं थी, इसीलिए उन्होंने अग्निदेव के समक्ष ऐसी शर्त रखी जिसे पूर्ण करना मुश्किल था। द्रुपद ने कहा कि उन्हें एक ऐसी कन्या चाहिए जिसके पांच पति हों लेकिन उसका कौमार्य सदा बना रहे। वह तमाम कष्टों से जूझकर समाज के लिए एक मिसाल बने। द्रुपद को लगा इतने गुणों का किसी एक कन्या में होना असंभव है लेकिन उनके ऐसा कहने के बाद ही अग्निसुता द्रौपदी का जन्म हुआ।
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